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कथाकार प्रो.शिवप्रसाद सिंह को जन्म जयंती पर दी गई पुष्पांजलि

जमानियां। स्टेशन बाजार स्थित डॉ. सुरेश राय के आवास पर सौरभ साहित्य परिषद बरूईन जमानियां के तत्वाधान में कथाकार डॉ. शिवप्रसाद सिंह को उनकी जन्म जयंती पर पुष्पांजलि अर्पित कर उनके साहित्य के सापेक्ष उन्हें कृतज्ञ रूप से याद किया गया। कार्यक्रम के मुख्यवक्ता वरिष्ठ साहित्यकार राजेंद्र सिंह ने शिवप्रसाद सिंह जी को उनकी कृतियों के उद्धरण द्वारा इस प्रकार उकेरा की मानो तत्कालीन समाज उपस्थित लोगों की आंखों में घूम गया आगे के वक्तव्य में उन्होंने कहा कि इनका कथा साहित्य ने हमारी धरती से इतना समन्वित कर दिया है कि हम उसमें हर क्षण उन्मुक्त प्रकृति और सहज जीवन का स्पंदन सुन सकते हैं। कुछ थोड़े ग्राम कथाकारों ने पर्वत प्रदेश से लेकर मिथिला की अमराइयों तक की धरती को जो नया रूप और जीवन प्रदान किया है,वह किसी भी कथा साहित्य के लिए गर्व की वस्तु हो सकती है। किसानों के सुख में यह धरती हंसती है और दु:ख में रोती है।”शिवप्रसाद सिंह ने ‘कर्मनाशा की हार,नन्हों, इन्हें भी इंतजार है, आर-पार की माला,पापजीवी,संपेरा, मुरदासराय, केवड़े का फूल, बरगद का पेड़,बिंदा महाराज,सुबह के बादल’जैसी कई कहानियां लिखीं, जिनके आधार पर उन्हें प्रेमचंद की परंपरा का सफल कथाकार कहा जा सकता है। उन्होंने आंचलिकता को एक प्रवृत्ति के रूप में स्वीकार किया। उन्होंने कंजड़,नट, मुसहर,भील,रमंतू नर्तक और थर्ड जेंडर पर लिखकर हाशिए के समाज के संघर्षों को अपनी कहानियों में पर्याप्त जगह दी। कथाकार शिवप्रसाद सिंह जी के छोटे भाई बाबू रमेश सिंह डॉ.सुरेश राय परामर्श चिकित्सक डा. विजय श्याम पांडेय हिंदू स्नातकोत्तर महाविद्यालय जमानियां गाज़ीपुर के हिंदी विभाग के सहायक आचार्य एवं महाविद्यालय के मीडिया प्रभारी डॉ अभिषेक तिवारी आदि ने संबोधित किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता शिक्षक उमाशंकर सिंह एवं संचालन हिंदू स्नातकोत्तर महाविद्यालय के वरिष्ठतम आचार्य एवं हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो. अखिलेश कुमार शर्मा शास्त्री ने किया।