जमानियां। स्टेशन बाजार स्थित हिंदू स्नातकोत्तर महाविद्यालय में विज्ञान संकाय के तत्वाधान में एवं प्राचार्य प्रो. एस एन सिंह के निर्देशन में महाविद्यालय में एयर टैक्सी और उन्नत ड्रोन टेक्नोलॉजी पर वर्कशाप का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्राचार्य प्रो. एस एन सिंह ने किया। कार्यक्रम का विषय प्रवर्तन महाविद्यालय के आईक्यूएसी प्रभारी प्रोफेसर अरुण कुमार ने उपस्थित समस्त छात्र-छात्राओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि आज भारत हर क्षेत्र के पहले मानव रहित एयरक्राफ्ट सिस्टम (UAS) या कहा जाए कि ड्रोन का इस्तेमाल ख़ास तौर पर सिर्फ़ सेना द्वारा किया जाता था, लेकिन हाल-फिलहाल में तमाम क्षेत्रों में ड्रोन्स का उपयोग किया जा रहा है और दिनोंदिन इसका उपयोग बढ़ रहा है. विशेष रूप से शहरी इलाकों में तो ड्रोन का इस्तेमाल काफ़ी बढ़ गया है. आपदा प्रबंधन, सर्विलांस, सामान की डिलीवरी, यातायात की निगरानी और स्वास्थ्य सेवाओं जैसे विभिन्न कार्यों में ड्रोन्स का उपयोग काफी कारगर साबित हुआ है. कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए भौतिक विज्ञान के विभागाध्यक्ष डॉ महेंद्र कुमार ने छात्र छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि ड्रोन का आविष्कार 1935 में हुआ था। लेकिन अपने भारी वजन के कारण यह उच्च वेग और अधिक ऊंचाई हासिल नहीं कर सकता। लेकिन ड्रोन तकनीक में प्रगति ने 20वीं सदी में इसे संभव बना दिया है। पिछले कुछ दशकों में ड्रोन तकनीक बहुत आगे बढ़ गई है। इसमें रोबोटिक्स और एयरोनॉटिक्स की तकनीक का उपयोग किया जाता है। इसका उपयोग कृषि, चिकित्सा विज्ञान, भौगोलिक अध्ययन, रिमोट सेंसिंग, अनुसंधान कार्य, सैन्य और रक्षा प्रणाली और कई अन्य क्षेत्रों में किया जाता है। ड्रोन तकनीक का उपयोग करके एयर टैक्सी की तकनीक विकसित की गई है। भारत वर्ष 2026 तक एयर टैक्सी शुरू करने के लिए पूरी तरह तैयार है। इससे प्रदूषण, यातायात, यात्रा का समय कम होगा और यह वाणिज्यिक उड़ान और हेलीकॉप्टर की तुलना में लागत प्रभावी भी है। ये एयरटैक्सी 1500 से 2000 फीट की ऊंचाई पर 200 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ सकती हैं। एयर टैक्सी से हम लंबी दूरी कुछ ही मिनटों में तय कर सकते हैं। इसलिए भारत वर्ष 2026 तक एयर टैक्सी शुरू करने के लिए पूरी तरह तैयार है और हम इसका इंतजार कर रहे हैं। तो एयर टैक्सी का विकास इस बात का उदाहरण है कि आज की दुनिया में तकनीक और विज्ञान कितना आगे बढ़ गया है। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में प्राचार्य प्रो. श्रीनिवास सिंह ने कहा कि भारत में वर्तमान परिस्थितियों की बात करें तो, ड्रोन्स को पारंपरिक हवाई जहाजों की श्रेणी में नहीं रखा जाता है और इन्हें ज़रूरत एवं परिस्थिति के मुताबिक़ हर बार संबंधित विभागों द्वारा संचालन की मंज़ूरी दी जाती है उम्मीद की सकती है कि भारत इस दिशा में आगे बढे़गा और विकास के नये आयाम तक पहुंचेगा।
इस दौरान महाविद्यालय के भौतिक विज्ञान के प्रयोगशाला सहायक प्रदीप कुमार सिंह सहित शिल्पा शर्मा, विनायक विंद निशा कुमारी पायल अंशु चौधरी नीतू सौरभ राव रिंकी अर्चना यादव आयुषी सिंह यास्मीन खातून अभिषेक कुशवाहा विकास कुमार धीरेन्द्र सिंह नाजिया तथा अनेक छात्र-छात्राओं ने बढ़-चढ़कर प्रतिभाग किया। इस आशय की जानकारी महाविद्यालय के मीडिया प्रभारी डॉ अभिषेक तिवारी ने विज्ञप्ति जारी कर दी।