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हिन्दी विभाग एवं शोध अध्ययन केन्द्र के तत्वाधान में विचारगोष्ठी का हुआ आयोजन

जमानियां। स्थानीय स्टेशन बाजार स्थित हिंदू स्नातकोत्तर महाविद्यालय में आइक्यूएसी, हिंदी विभाग एवं शोध अध्ययन केन्द्र के तत्वाधान में “साहित्य निर्माण की प्रक्रिया” शीर्षक पर विचार गोष्ठी का आयोजित हुई। संगोष्ठी के मुख्य अतिथि महाविद्यालय के पुरा छात्र साहित्यकार राम पुकार सिंह,एवं विशिष्ट अतिथि सौरभ साहित्य परिषद के संस्थापक वरिष्ठ साहित्यकार राजेन्द्र सिंह रहे। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राम पुकार सिंह एवं विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार राजेंद्र सिंह को पुष्पगुच्छ भेंट कर सम्मानित किया गया। पुरा छात्र राम पुकार सिंह ने अपने वक्तव्य में कहा कि ” साहित्य और समाज का अन्योन्याश्रित सम्बन्ध होने की वजह से यह समाज की संस्कृति का संवाहक है।अगर और भी स्पष्ट शब्दों में कहें तो हम कह सकते हैं कि साहित्य संस्कृति का संवाहक ही नहीं बल्कि संरक्षक भी है। साहित्यिक कृतियों के अभाव में दूर-दर्शन अथवा दूसरे दृश्य माध्यमों द्वारा विकृत की जा रही संस्कृति को बचाने का सन्देश भी साहित्य द्वारा ही दिया जा सकता है। और कविता गजल कहानी के माध्यम से आने वाली नई पीढी़ को जो पठनीयता के अभाव जीने को अभिशप्त सी होती जा रही है उसे पठनीयता से जोड़ने की आवश्यकता है। साहित्य ही एक आम पाठक को बता सकता है कि उसके अपने समाज की सामाजिक संस्कृति क्या थी और उसे अब किस रूप में परोसा जा रहा है। संस्कृति का सीधा सम्बन्ध मानवीय मूल्यों और संस्कारों से होता है।अतः साहित्य मानवीय मूल्यों की रक्षा करता है और संस्कारों को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक हस्तान्तरित करता है। यह सब साहित्य के सामाजिक सरोकारों के तहत ही सम्भव हो पाता है। राष्ट्र के विकास में योगदान दे सकते हैं। उन्होंने अपनी पुस्तक से कुछेक गजलों और दोहों का सस्वर पाठ भी किया। वरिष्ठ साहित्यकार राजेंद्र सिंह ने कहा कि बाबू रामपुकार सिंह विज्ञान के विद्यार्थी होते हुए भी साहित्य में सफल हस्तक्षेप करते हैं जो सराहनीय है। हम लोगों का उद्देश्य बस इतना है कि साहित्य समाज का दर्पण भी है,तर्पण भी है,अर्पण भी है और समर्पण भी है साहित्य बचा रहेगा तो संवेदना बची रहेगी और मनुष्यता बची रहेगी।

महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. श्रीनिवास सिंह ने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि साहित्य जीवन की साधना और जीवन का समाधान है।वास्तव में समाज में संवेदना तभी व्याप्त हो सकेगी जब साहित्य को अंतर्रात्मा से ग्रहण किया जाए।
कार्यक्रम का सफल संचालन हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो.अखिलेश कुमार शर्मा ‘शास्त्री’ ने तथा धन्यवाद ज्ञापन रसायन विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो.अरुण कुमार ने किया।इस मौके पर अंग्रेजी विभागाध्यक्ष डॉ.राकेश कुमार सिंह भौतिक विज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ.महेन्द्र कुमार, कृतकार्य आचार्य डॉ.मदन गोपाल सिन्हा प्रदीप कुमार सिंह सहित छात्र छात्राएं उपस्थित रहे।इस आशय की जानकारी महाविद्यालय के मीडिया प्रभारी सहायक आचार्य हिंदी डॉ. अभिषेक तिवारी ने विज्ञप्ति जारी कर दी।