गाज़ीपुर। छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में स्वतंत्र पत्रकार मुकेश की निर्मम हत्या के विरोध में गाज़ीपुर के पत्रकारो ने मौन जुलूस निकाला। जुलूस मिश्रा बाजार से लेकर सरजू पांडे पार्क तक आयोजित किया गया। उक्त जुलूस में जिले के लगभग सभी पत्रकार साथियों समेत संगठनों ने सहभागिता निभाई।
जुलूस निकालकर दिवंगत आत्मा को दी गई श्रद्धांजलि, प्रशासन से न्याय की मांग:
गाज़ीपुर में जिले भर के पत्रकार एसोसिएशन के पत्रकार सदस्यों ने एक मंच पर एकत्रित होकर स्वतंत्र पत्रकार मुकेश चन्द्रकार द्वारा सड़क व पुल के निर्माण में ठेकेदार द्वारा किये गये भ्रष्टाचार के खुलासे पर हुई हत्या के मामले से मर्माहत होकर इसके विरोध में मौन जूलुस निकालकर इस तरह की घटना की पुनरावृत्ति पर रोक लगाने के लिए पूरे देश में पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग की। उक्त के संबंध में पत्रकारों के लिए सुरक्षा व मृत पत्रकार को न्याय प्रदान करने हेतु विभिन्न बिन्दुओ पर कार्यवाही करने शासन व सरकार से अपील की। इसके अतिरिक्त पत्रकारों ने राज्यपाल को संबोधित छह सूत्रीय मांगों का पत्रक जिलाधिकारी गाजीपुर को सौंपा। गाजीपुर के पत्रकार संगठनों ने गांधीवादी तरीके से पत्रकारों पर हो रहे उत्पीड़न के साथ पत्रकार सुरक्षा के लिए कड़े नियम बनाने की भी मांग की।
पत्रकारों की मांग:
• पत्रकार मुकेश चन्द्राकर की निर्मम हत्या के दोषी ठेकेदार सुरेश चन्द्राकर को मृत्युदण्ड दिये जाने की मांग।
• पत्रकार द्वारा घटनाओं व भ्रष्टाचार की खुलासे के लिए पत्रकार सुरक्षा कानून को लेकर राष्ट्रपति द्वारा अध्यादेश जारी करने की मांग।
• पत्रकार मुकेश चन्द्राकर के आश्रित को मध्यप्रदेश सरकार द्वारा सरकारी नौकरी व 5 करोड़ रूपये की मुआवजा देने की मांग।
• मऊ जनपद में विगत दिनो छह पत्रकारों पर फर्जी घटनाक्रम में हुए मुकदमे को निरस्त करने की मांग।
• जौनपुर मे हुए पत्रकार हमले की न्यायिक जांच करने की मांग।
• पत्रकारों पर फर्जी मुकदमें व उत्पीड़न बन्द करने व इसके दोषी कर्मचारी/अधिकारी के विरूद्ध तत्काल कार्यवाही करने की मांग शामिल है।
मीडिया का गला घोंटना लोकतंत्र की आत्मा का हनन है। पत्रकारिता का खामोश होना समाज के खत्म होने की शुरुआत है:
इस तरीके की असामाजिक घटनाएं एक गंभीर सामाजिक, राजनीतिक और मानवाधिकारों का मुद्दा है। दुनियाभर में कई पत्रकारों को उनकी रिपोर्टिंग, सच्चाई को उजागर करने, और शक्तिशाली समूहों के खिलाफ आवाज उठाने के कारण निशाना बनाया गया है।और यह कहना कत्तई गलत नहीं होगा इस प्रकार की स्थिति वही उत्पन्न होती है जहां अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और कानून का शासन कमजोर होता है। स्वतंत्र पत्रकारों की हत्या न केवल एक व्यक्ति का नुकसान है, बल्कि यह समाज को सच्चाई से वंचित करने की कोशिश भी है। इसे रोकने के लिए सशक्त कदम उठाने की आवश्यकता है।