जमानियां। एसआरएनएसएस पब्लिक स्कूल, बरूईन में शनिवार को मातृ दिवस के उपलक्ष्य में एक भव्य, भावनात्मक और स्मरणीय समारोह का आयोजन किया गया। यह आयोजन सम्पूर्ण रूप से मातृत्व के सम्मान और उसके निस्वार्थ प्रेम को समर्पित रहा, जिसमें विद्यार्थियों ने विविध प्रस्तुतियों के माध्यम से माताओं के प्रति श्रद्धा प्रकट की और माहौल को उत्सवमय बना दिया।कार्यक्रम की शुरुआत परंपरागत रूप से दीप प्रज्वलन एवं सरस्वती वंदना से हुई। इसके पश्चात छात्रों द्वारा रंगारंग सांस्कृतिक प्रस्तुतियां, चित्रकला प्रतियोगिता, आर्ट एंड क्राफ्ट प्रदर्शनी एवं वाद-विवाद जैसे रचनात्मक कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए, जिनकी थीम “मां का योगदान” रही। प्रत्येक प्रस्तुति ने मातृत्व की गरिमा, ममता की गहराई और उसके अनंत त्याग को भावपूर्ण तरीके से उजागर किया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि हिंदू पी.जी. कॉलेज के प्रख्यात प्राध्यापक डॉ. अभिषेक त्रिपाठी रहे, जिनका प्रेरणादायक संबोधन कार्यक्रम का बना केंद्रीय आकर्षण:
उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा,
“मां एक रिश्ता नहीं, एक संपूर्ण जीवन दर्शन है। वह समाज की प्रथम शिक्षिका होती हैं, जिनका मौन त्याग, अनुशासन और ममत्व किसी पाठ्यपुस्तक से अधिक गहन होता है। आज यदि हम एक सशक्त समाज की परिकल्पना करते हैं, तो उसकी नींव एक शिक्षित और सम्मानित मां के आंगन में ही रखी जाती है।”
डॉ. त्रिपाठी के उद्बोधन ने उपस्थित श्रोताओं को गहराई से छू लिया और सभागार में उपस्थित सभी माताओं की आंखें गर्व व श्रद्धा से नम हो उठीं।
विद्यालय के निदेशक श्री रणविजय सिंह ने कहा,
“महिलाएं समाज की धुरी हैं। वे न केवल परिवार का आधार हैं, बल्कि राष्ट्र निर्माण की भी महत्वपूर्ण कड़ी हैं। मातृत्व का सम्मान वास्तव में मानवता का सम्मान है।” प्रधानाचार्य महोदय ने भी माताओं की भूमिका को जीवन की सबसे सुंदर परिभाषा बताते हुए उनके योगदान को नमन किया।
कार्यक्रम के विशेष आकर्षण के रूप में विद्यालय की ओर से उपस्थित माताओं को प्रतीक चिह्न और सम्मान-पत्र भेंट कर सम्मानित किया गया। इस सम्मान समारोह ने पूरे आयोजन को एक भावनात्मक ऊंचाई प्रदान की और उपस्थित सभी जनों को मातृत्व की महानता का सजीव अनुभव कराया। कार्यक्रम का संचालन त्रिप्ती मैम एवं पंकज सर ने अत्यंत सहजता व सटीकता से किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन साधना मैम द्वारा प्रस्तुत किया गया। विद्यालय परिवार द्वारा आयोजित यह कार्यक्रम न केवल माताओं के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने का अवसर बना, बल्कि विद्यार्थियों के हृदय में भी मातृत्व के प्रति सम्मान व संवेदना के बीज बोने वाला एक यादगार आयोजन सिद्ध हुआ।


