गाजीपुर। जनपद स्थित गायत्री शक्तिपीठ के दिव्य प्रांगण में चल रहे दो दिवसीय मौन साधना एवं व्यक्तित्व परिष्कार प्रशिक्षण शिविर का सोमवार को आत्म-सुधार व समाज-सुधार के संकल्प के साथ समापन हुआ। इस विशेष प्रशिक्षण में कुल 24 शिविरार्थियों ने भाग लिया। शिविर के दौरान प्रतिभागियों ने योग, ध्यान, यज्ञ तथा मौन व्रत से उत्पन्न ऊर्जा का अनुभव प्राप्त किया। साथ ही उन्हें समाज के भटके, हतोत्साहित एवं दिशाहीन युवाओं को राष्ट्र की मुख्यधारा से जोड़ने की जिम्मेदारी का बोध कराया गया।


वाराणसी से पधारे मार्गदर्शक एवं प्रशिक्षक विद्याधर मिश्रा व वृजेश कुमार ने कहा कि वर्तमान सामाजिक परिस्थितियां युवाओं को सही मार्गदर्शन से दूर कर एक दिग्भ्रमित वातावरण में धकेल रही हैं। युवा सही और गलत के बीच उचित विकल्प चुनने में असहाय महसूस कर रहे हैं। इसका प्रमुख कारण आत्मबोध, आत्मविश्वास व दृढ़ इच्छाशक्ति की कमी है। प्रशिक्षण में 36 घंटे की मौन साधना, आत्म-विवेचना एवं आत्म-संस्कार के माध्यम से प्रतिभागियों ने आत्मबल की ऊर्जा को जागृत किया। वक्ताओं ने बताया कि आत्मविकारों को दूर कर ही जीवन को श्रेष्ठ बनाया जा सकता है।
परम पूज्य गुरुदेव पं. श्रीराम शर्मा आचार्य के सपनों की इक्कीसवीं सदी को साकार करने का मार्ग संयमी, स्वावलंबी, अनुशासित, राष्ट्रभक्त एवं आत्मबल से युक्त युवाओं से होकर ही संभव है। उन्होंने कहा कि चाहे परिस्थितियां कितनी भी कठिन क्यों न हों, आत्मबल, अनुशासन और आंतरिक ऊर्जा के माध्यम से उन्हें अपने अनुकूल बनाया जा सकता है। समापन सत्र का वातावरण क्षितिज श्रीवास्तव के ओजस्वी संगीत से भावविभोर हो उठा। शिविर की संपूर्ण व्यवस्था मुख्य ट्रस्टी सुरेन्द्र सिंह द्वारा की गई थी। समापन अवसर पर माधव कृष्ण, ओमनारायण राय, मारुति राय, विजय श्रीवास्तव, अभिषेक राय, गौरीशंकर राय, देवेन्द्र सिंह, वृजेश कुमार, मदन मोहन शर्मा, मनोज जायसवाल, नीतू राय सहित अन्य साधक उपस्थित रहे।