Skip to content

ताड़ीघाट रजवाहा की बदहाल स्थिति से किसान बेहाल, सिंचाई विभाग की लापरवाही उजागर

जमानिया। ताड़ीघाट रजवाहा की दुर्दशा एक बार फिर सिंचाई विभाग की लापरवाही की पोल खोल रही है। सुहवल सिवान से डेढ़गांव होते हुए उधरनपुर टेल तक लगभग दो किलोमीटर क्षेत्र में अब तक करीब साठ कुलाबे नहीं लगाए जा सके हैं। इसका खामियाजा सीधे-सीधे क्षेत्रीय किसानों को भुगतना पड़ रहा है, जिनके खेत पानी के अभाव में सूखे पड़े हैं। नहर में पानी होने के बावजूद किसान सिंचाई नहीं कर पा रहे हैं और उन्हें मजबूरीवश निजी पंपसेट से खेतों की सिंचाई करनी पड़ रही है। किसानों का कहना है कि यदि शीघ्र कुलाबे नहीं लगाए गए, तो धान की खेती पिछड़ सकती है। साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि रजवाहे का बेड निर्माण कार्य अधूरा है, जिससे भविष्य में अधिक पानी छोड़े जाने पर रजवाहा टूटने की आशंका भी बनी हुई है।

किसानों ने बताया कि वे कई बार सिंचाई विभाग से शिकायत कर चुके हैं, लेकिन हर बार उन्हें केवल आश्वासन ही मिला है। स्थिति यह है कि रजवाहे की पटरियों से होकर खेतों तक जाने के लिए करीब दो करोड़ रुपये की लागत से खड़ंजा तो बिछाया गया, मगर आज तक उसकी ड्रेसिंग नहीं कराई गई, जिससे आवागमन में भी कठिनाई हो रही है। स्थानीय किसानों ने नाराजगी जताते हुए कहा कि विभागीय अधिकारी निरीक्षण के नाम पर क्षेत्र में आते तो हैं, लेकिन नहर की इस बदहाली पर किसी की नजर नहीं जाती, जो आश्चर्यजनक है।

इस संबंध में अवर अभियंता रघुनंदन ने बताया कि ताड़ीघाट रजवाहा के डेढ़गांव से उधरनपुर टेल तक बहुत जल्द कुलाबे लगाए जाएंगे, ताकि किसान समय पर धान की रोपाई कर सकें। उन्होंने यह भी आश्वस्त किया कि रजवाहे के बेड और खड़ंजे की ड्रेसिंग का कार्य भी शीघ्र पूरा कराया जाएगा। कुल मिलाकर, सिंचाई विभाग की लापरवाही का सीधा असर कृषि पर पड़ रहा है और यदि शीघ्र समाधान नहीं निकाला गया, तो क्षेत्र के फसल उत्पादन पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।