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गोपालराम गहमरी ने अपने समय में समाज को किया लिपिबद्ध-प्राचार्य प्रो.अखिलेश शर्मा शास्त्री

जमानिया (गाजीपुर)। गोपालराम गहमरी की सौ साल पुरानी कहानियों का संग्रह काशी की गोलकधन्धारी का लोकार्पण डॉ मदन गोपाल सिन्हा के आवास पर हिंदू पीजी कालेज के प्राचार्य प्रो.अखिलेश कुमार शर्मा शास्त्री, डॉ विमला राय,वरिष्ठ साहित्यकार राजेन्द्र सिंह द्वारा किया गया। कहानियों का संपादन वरिष्ठ पत्रकार संजय कृष्ण ने किया है। इस संग्रह का प्रकाशन नई दिल्ली प्रभात प्रकाशन ने किया है। इस मौके पर संजय कृष्ण लिखित झारखंड बिहार के इकलौते परमवीर चक्र विजेता अल्बर्ट एक्का पुस्तक का भी विमोचन किया गया।

इस मौके पर प्रो.अखिलेश कुमार शर्मा शास्त्री ने कहा कि 100 साल पुरानी कहानियां हमारे समाज का रेखाचित्र हैं। यह उन तीर्थयात्रियों की कहानी है जो कलकत्ता से बनारस घूमने आते हैं और ठगों के शिकार हो जाते हैं। इसी तरह कोचवान का खून और खूनी कौन कहानियां भी पढ़ते समय हमें आज की लगती हैं। उन्होंने अपने समय समाज को लिपिबद्ध किया। उनकी भाषा नदी के प्रवाह की तरह है।यह प्रकाशन स्वागतयोग्य है। डॉ मदन गोपाल सिन्हा ने कहा कि गोपाल राम गहमरी ने काफी लिखा है। उनकी रचनाओं के प्रकाशन से आज की पीढ़ी परिचित होगी। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए सौरभ साहित्य परिषद के संस्थापक,वरिष्ठ साहित्यकार राजेंद्र सिंह ने कहा कि बचपन में उनकी कहानियों के बारे में सुना था। आज इनका पुनर्प्रकाशन हो रहा है। यह हमारे लिए खुशी की बात है। उन्होंने 200 के करीब उपन्यास एवं कहानियां लिखी हैं। समालोचक पत्रिका का 1902 में उन्होंने संपादन किया था। 38 साल तक जासूस पत्रिका का प्रकाशन संपादन भी गहमर से किया। आज उनके काम को देखने की जरूरत है। वे गाजीपुर की महान विभूति थे। संजय कृष्ण ने कहा कि उन्होंने हिंदी की बड़ी सेवा की। रहस्य रोमांच की कहानियों की जमीनी धरातल प्रदान किया। उनके संस्मरणों में हिंदी कहानी का पूरा इतिहास दर्ज है। यह संग्रह पठनीय ही नहीं संग्रणीय भी है।