गाज़ीपुर। जनपद में फाइलेरिया उन्मूलन अभियान के तहत मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए) कार्यक्रम 10 अगस्त से शुरू होकर दो सितंबर तक चलाया जाएगा। इस अभियान को सफल बनाने के लिए शासन एवं स्वास्थ्य विभाग काफी सक्रिय हो चुका है और तैयारियां शुरू कर दी हैं। इसी क्रम में सोमवार को मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) संतोष कुमार वैश्य की अध्यक्षता में प्रथम जनपद स्तरीय अंतर्विभागीय समन्वय बैठक विकास भवन सभागार में आयोजित की गई।
राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के तहत जनपद के समस्त ब्लॉकों में फाइलेरिया उन्मूलन के लिए सर्वजन दवा वितरण (एमडीए) कार्यक्रम 10 अगस्त से संचालित किया जाएगा। इसमें आशा-आंगनबाड़ी कार्यकर्ता घर-घर जाकर फाइलेरिया रोधी दवा का सेवन अपने समक्ष कराएंगी। मुख्य विकास अधिकारी ने स्वास्थ्य विभाग समेत विभिन्न विभागों के अधिकारियों और कर्मियों को निर्देशित किया कि अभियान को शत-प्रतिशत सफल बनाने के लिए समस्त अधिकारी और कर्मी आपसी समन्वय बनाकर कार्य करें। उन्होंने अपील की है कि फाइलेरिया से बचने के लिए हर साल चलने वाले एमडीए राउंड के दौरान दवा का सेवन अवश्य करें। इस दवा का सेवन एक वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती और अति गंभीर बीमार को छोड़कर सभी को करना है।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ देश दीपक पाल ने बताया कि एमडीए अभियान में जनपद की शत प्रतिशत लक्षित आबादी को फाइलेरिया बीमारी से बचाव के लिए उम्र के अनुसार एमडीए दवा का सेवन स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के समक्ष कराया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस दवा का सेवन एक वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती और अति गंभीर बीमार को छोड़कर सभी को करना है। लगातार पांच वर्षों तक साल में एक बार दवा खाने से इस बीमारी के होने से रोकने या नियंत्रित करने में मदद मिलती है।
कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ जेएन सिंह ने बताया कि एमडीए दवा का सेवन कराने के लिए स्वास्थ्य विभाग सहित आईसीडीएस, पंचायती राज व ग्राम विकास, जिला विधालय निरीक्षक, बेसिक शिक्षा अधिकारी, आपूर्ति, होम्योपैथिक, आयुर्वेदिक, आजीविका, आईएमए, सूचना अधिकारी आदि का सहयोग लिया जाएगा। साथ ही डब्ल्यूएचओ, यूनिसेफ, पाथ, पीसीआई, सीफार, चाई व अन्य स्थानीय संस्थाओं का सहयोग लिया जाएगा।
जिला मलेरिया अधिकारी मनोज कुमार ने बताया कि अभियान को शत-प्रतिशत सफल बनाने के लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं। स्वास्थ्यकर्मियों, शिक्षक, ग्राम प्रधान, नगर पालिका व नगर पंचायत कर्मियों को प्रशिक्षित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि एमडीए की दवा फाइलेरिया के परजीवियों को नष्ट करने के साथ पेट के अन्य कीड़ों व समस्याओं को दूर करने में भी मदद करती हैं। इसलिए सभी लोग इस दवा का सेवन करें जिससे वह इस बीमारी से बच सकें। एक साल से कम आयु के बच्चों, गर्भवती और गंभीर रोगों से ग्रसित व्यक्तियों को इन दवाओं का सेवन नहीं करना है। दवा को चबाकर खाना है। खाली पेट दवा का सेवन नहीं करना है।
डीएमओ ने बताया कि फाइलेरिया बीमारी मादा क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होती है। यह बीमारी मुख्यतः व्यक्ति के शरीर के चार अंगों जैसे पैर, हाथ, अंडकोष और महिलाओं का स्तन को प्रभावित करती है। शुरुआत में इस बीमारी के कोई लक्षण नहीं देते हैं। इसके लक्षण दिखने में 10 से 15 साल लगते हैं। इसलिए सभी को फाइलेरिया की दवा खाना बेहद जरूरी है। जिससे उचित समय पर ही इसकी रोकथाम की जा सके। बताया कि फाइलेरिया की जाँच रात के समय होती है। जांच के लिए रक्त की स्लाइड रात में बनायी जाती है, क्योंकि इसके परजीवी दिन के समय रक्त में सुप्तावस्था में होते हैं और रात के समय सक्रिय हो जाते हैं।
बैठक में मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (पुरुष व महिला), समस्त एसीएमओ, अंधता निवारण, क्षय रोग, कुष्ठ रोग, मलेरिया व सर्विलान्स अधिकारी, जिला आपूर्ति, होम्योपैथिक, आयुर्वेदिक, सूचना, बेसिक शिक्षा व अन्य विभागों के अधिकारी, आईएमए अध्यक्ष, डीपीएम, सहायक मलेरिया अधिकारी सहित यूनिसेफ, डब्ल्यूएचओ, पाथ, पीसीआई, सीफार, चाई संस्था के जिला प्रतिनिधि उपस्थित रहे।