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तेज़ म्यूज़िक, धीमी सुनवाई: ईयरफोन से बढ़ रहा है खतरा

लखनऊ। आज के युवाओं में ईयरफोन और ईयर प्लग के अत्यधिक उपयोग से सुनने की क्षमता में कमी देखी जा रही है। इसके साथ ही टिनिटस (कानों में लगातार आवाज सुनाई देना) जैसी समस्याएं भी तेजी से बढ़ रही हैं। इस विषय को गंभीरता से लेते हुए उत्तर प्रदेश के प्रमुख सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा ने सभी मंडलायुक्तों और जिलाधिकारियों को पत्र जारी कर आमजन में जागरूकता फैलाने के निर्देश दिए हैं। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. सुनील कुमार पांडे ने जानकारी देते हुए बताया कि प्रमुख सचिव द्वारा भेजे गए पत्र में मोबाइल, ईयरफोन और हेडफोन के अत्यधिक उपयोग को लेकर चिंता व्यक्त की गई है। उन्होंने बताया कि युवाओं द्वारा लंबे समय तक तेज़ आवाज़ में संगीत सुनने से उनकी श्रवण क्षमता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। यह एक ऐसा स्वास्थ्य संकट है जिसे अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है।

डॉ. पांडे ने बताया कि इससे बचाव के लिए कुछ सुझाव दिए गए हैं:

हेडफोन या ईयरफोन का अनावश्यक उपयोग न करें।

आवश्यकता हो तो 50 डेसीबल से अधिक ध्वनि क्षमता वाले उपकरण का प्रयोग करें।

हेडफोन या ब्लूटूथ इयर प्लग का प्रतिदिन अधिकतम 2 घंटे तक ही इस्तेमाल करें और बीच-बीच में ब्रेक लें।

कम आवाज में सुनने के लिए नॉइज़ कैंसिलिंग हेडफोन का इस्तेमाल करें।

बच्चों को ऑनलाइन गेमिंग से दूर रखें, क्योंकि इनमें तेज़ आवाज़ों का ज्यादा प्रयोग होता है।

सोशल मीडिया का प्रयोग सीमित करें और परिवार के साथ अधिक समय बिताएं।

सार्वजनिक स्थलों पर ध्वनि की अधिकतम औसत सीमा 100 डेसीबल से अधिक न हो।

उन्होंने चेताया कि यदि एक बार सुनने की क्षमता स्थायी रूप से नष्ट हो गई, तो श्रवण यंत्र से भी सामान्य स्थिति में वापस लाना संभव नहीं होगा। साथ ही, कम उम्र में टिनिटस की शुरुआत से अवसाद और अन्य मनोवैज्ञानिक समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती हैं। जनस्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि यदि बताए गए उपायों को गंभीरता से अपनाया जाए, तो युवाओं को इस बढ़ते खतरे से बचाया जा सकता है।